महाभारत में भीष्म पितामाह ने युधिष्ठिर को बताया है कि श्राद्ध पक्ष में किस तिथि पर तर्पण-पिंडदान करने से क्या फल मिलता है। आगे जानिए तिथि अनुसार श्राद्ध करने के फायदे…
महाभारत के अनुसार, जो व्यक्ति प्रतिपदा तिथि पर पितरों का श्राद्ध करता है, उसे बहुत ही सुंदर और सुयोग्य संतानों को जन्म देने वाली पत्नी मिलती है।
जो व्यक्ति श्राद्ध पक्ष की द्वितीया तिथि पर पितरों का श्राद्ध करता है, उसके घर में योग्य कन्याओं का जन्म होता है। जो कुल का नाम रोशन करती हैं।
तृतीया तिथि पर श्राद्ध करने से घोड़े मिलते हैं। चतुर्थी तिथि का श्राद्ध करने से भेड़-बकरियों से लाभ होता है। योग्य पुत्र पाने के लिए पंचमी तिथि पर श्राद्ध जरूर करना चाहिए।
षष्ठी पर श्राद्ध करने से सम्मान, सप्तमी को श्राद्ध करने से खेती में लाभ, अष्टमी को श्राद्ध करने से बिजनेस में लाभ होता है। नवमी पर श्राद्ध करने से पशुओं से फायदा मिलता है।
दशमी को श्राद्ध करने से गायों से फायदा होता है। एकादशी पर श्राद्ध करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। द्वादशी तिथि पर श्राद्ध करने से सोने-चांदी में वृद्धि होती है।
त्रयोदशी पर श्राद्ध करने से मान-सम्मान मिलता है। चतुर्दशी तिथि पर उसी व्यक्ति का श्राद्ध करना चाहिए, जिसकी अकाल मृत्यु हुई हो जैसे किसी घटना-दुर्घटना में या किसी शस्त्र के द्वारा।
श्राद्ध पक्ष की अंतिम तिथि को सर्व पितृ अमावस्या कहते हैं। इस दिन श्राद्ध करने से पितृ देवता प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं साथ ही सारी इच्छाएं भी पूरी करते हैं।