पूजा में अगरबत्ती जरूर जलाई जाती है। इससे वातावरण सुगंधित हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगरबत्ती को अगरबत्ती ही क्यों कहा जाता है, इसके पीछे एक रोचक वजह है…
धर्म ग्रंथों के अनुसार, पूजा-पाठ के दौरान सुगंधित द्रव्यों का उपयोग किया जाना चाहिए, जिससे कि वातावरण सुगंधित बना रहे और मन शांत रहे। इससे पूजा में मन लगा रहता है।
एक मान्यता ये भी है कि पूजा के दौरान अगरबत्ती जलाने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों की कामना पूरी करते हैं। यही कारण है कि घर के मंदिरों में रोज अगरबत्ती जरूर लगाई जाती है।
बहुत से लोगों के मन में ये प्रश्न जरूर उठता है कि अगरबत्ती को ये नाम किसने दिया, क्या इसका कोई दूसरा नाम नहीं है। इसके पीछे एक बहुत ही रोचक कारण छिपा है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, पुरातन समय में अगरु नाम की एक वनस्पति का उपयोग पूजा-पाठ के दौरान किया जाता था। इसे जलाने पर बहुत ही अच्छी सुगंध निकलती थी।
अगरु वनस्पति का स्वरूप जब थोड़ा अलग हुआ तो इसे अगरबत्ती कहा जाना लगा। इस तरह अगरु नाम की वनस्पति से बनने के कारण ही अगरबत्ती का आविष्कार हुआ।