प्राण प्रतिष्ठा से पहले मूर्ति को पानी, अनाज, शहद में क्यों रखते हैं?
Spiritual Jan 15 2024
Author: Manish Meharele Image Credits:twitter
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22 जनवरी को विराजेंगे राम लला
22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में राम लला की प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। प्राण प्रतिष्ठा क्या होती है, इसके पहले क्या-क्या होता है, इसके बारे में कम ही लोगों जानते हैं।
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प्रतिमा में होते हैं दोष
जब कोई देव प्रतिमा बनाई जाती है, तो उस पर शिल्पकार के औजारों से चोटें आती हैं। उन चोटों को ठीक करने के लिए प्रतिमा को अलग-अलग चीजों में डूबाकर रखा जाता है। इसे अधिवास कहते हैं।
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पहले पूरी की जाती हैं ये प्रक्रियाएं
अगर बनाई गई देव मूर्ति में कोई दोष है या उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं है तो अधिवास के दौरान इसका पता लग जाता है। इन प्रक्रियाओं के बाद ही उस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है।
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पहले होता है जलाधिवास
जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी होती है, उसे पहले एक रात रात के लिए पानी में डूबाकर रखा जाता है। इस प्रक्रिया को जलाधिवास कहते हैं।
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फिर रखते हैं अनाज में
जलाधिवास की प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रतिमा को अनाज में दबाकर रात भर के लिए रखा जाता है, जिसे धन्यधिवास कहा जाता है।
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इन चीजों में भी रखते हैं प्रतिमा को
धन्यधिवास के बाद प्रतिमा को शहद में रात भर डूबाकर रखा जाता है। इसके बाद फूलों में रखते हैं। औषधी युक्त पानी में भी प्रतिमा को डूबाकर रखा जाता है।
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कम से कम 12 अधिवास
इस तरह देव प्रतिमा को प्राण प्रतिष्ठा से पहले इस तरह की 108 प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। अगर कोई इतनी बड़ी प्रक्रिया नहीं कर पाता तो कम से कम 12 अधिवास तो किए ही जाते हैं।