आचार्य चाणक्य ने अनेक ग्रंथों की रचना की, इन्हीं में से एक है नीति शास्त्र। इस ग्रंथ के एक श्लोक में उन्होंने बताया है कि अनाज, दूध, मांस और घी में से किसमें अधिक शक्ति होती है…
अन्नाद्दशगुणं पिष्टं पिष्टाद्दशगुणं पय:
पयसोथऽष्टगुणं मांसं मांसाद्दशगुणं घृतम्
अर्थ- अनाज से अधिक ताकत आटे में, इससे अधिक दूध में, इससे अधिक मांस में और इससे ज्यादा घी में होती है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, साबूत अनाज में बहुत बल होता है, लेकिन इससे ज्यादा पोषक तत्व इससे बने आटे में होते हैं। खड़े अन्न से अधिक उसके आटे से शरीर ज्यादा ऊर्जा ग्रहण करता है।
अन्न के आटे से भी दस गुना अधिक बल दूध में होता है। दूध को संपूर्ण आहार भी कहा जाता है। जो लोग नियमित रूप से दूध पीते हैं, उनमें रोगों से लड़ने की शक्ति कहीं अधिक होती है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, दूध से ज्यादा बल मांस में होता है। लेकिन अनेक शास्त्रों में मांसाहार को निषेध माना गया है, क्योंकि अकारण किसी भी जीव की हत्या करना पाप होता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मांसाहार से भी दस गुना अधिक ताकत शुद्ध घी में होती है। नियमित रूप से शुद्ध घी का सेवन करने से व्यक्ति लंबे समय तक बुढ़ापे के रोगों से बचे रह सकता है।