पश्चिम बंगाल में दुर्गा उत्सव 20 से 24 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। पहले दिन घटस्थापना होगी और अंतिम दिन सिंदूर खेला होगा। जानिए इन 5 दिनों में कब क्या होगा, पूरी डिटेल…
20 अक्टूबर को अकाल बोधन होगा। इस दिन मंत्रों के माध्यम से देवी का आवाहन होगा। कलश स्थापना के साथ ही बिल्व वृक्ष की पूजा होगी। दुर्गा पूजन का संकल्प भी लिया जाएगा।
21 अक्टूबर को सप्तमी तिथि पर 9 तरह की पत्तियों को मिलाकर एक गुच्छा बनाकर देवी की पूजा की जाएगी। इसे नवपत्रिका पूजन कहते हैं। इन में केले, हल्दी, जयंती, बिल्व के पत्ते होते हैं।
धुनुची एक खास नृत्य है जो नवरात्रि की अष्टमी-नवमी तिथि पर होता है। इसे शक्ति नृत्य भी कहते हैं। धुनुची में नारियल की जटा, रेशे और हवन सामग्री रखकर माता की आरती की जाती है।
विजयदशमी पर्व पर महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं। इसे ही सिंदूर खेला कहते हैं। इस दिन देवी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है और लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं।