चंद्रगुप्त को मगध में सत्तासीन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसके बाद यहां उन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
चाणक्य को प्राचीन भारतीय अर्थशास्त्र का पितामह कहा जाता है। उनकी हस्त लिखित "अर्थशास्त्र" विश्व के सबसे प्राचीन अर्थशास्त्र ग्रंथों में शुमार किया जाता है।
चाणक्य को राजनीति, कूटनीति, और रणनीति में सबसे कुशल खिलाड़ी माना जाता है। उनकी नीतियां आज भी प्रासांगिक हैं।
चाणक्य दूरदर्शी और मौके को पहचान रखने वाले आचार्य थे। वे हर काम सही समय और अवसर की पहचान पर ही करते थे। इसी दूरदर्शिता ने चंद्रगुप्त मौर्य को एक महान राजा बनाया।
चाणक्य ने साम्राज्य हासिल करने के बाद भी बेहद सिंपल लाइफ जी। वे अपनी शिक्षा और ज्ञान को ही सर्वोपरि मानते थे। विलासिता उन्हें कभी छू भी नहीं पाई ।
नंद वंश के राजा घनानंद ने चाणक्य को भरी सभी में अपमानित किया था, जिसके बाद आचार्य ने नंद वंश को समाप्त करने तक अपने केस नहीं बांधने की प्रतिज्ञा ली थी।
साधारण से बालक चंद्रगुप्त मौर्य को चाणक्य ने घनानंद के खिलाफ ट्रेंड किया । उसे हर क्षेत्र में इतना काबिल बनाया था कि वो अकेला ही नंद वंश की सेना पर भारी पड़ गया था।
"चाणक्य नीति" इस सदी में उतनी ही प्रासंगिक है। विष्णु गुप्त द्वारा रचित नीति शास्त्र में लाइफ, पॉलिटिक्स, सोशल सिस्टम और नैतिकता से जुड़े कई महत्वपूर्ण सिद्धांत दिए गए हैं।
चाणक्य ने पॉलिटिक्स में भी धर्म और नैतिकता पर ही बल दिया। राजा को हर हाल में न्यायप्रिय और नैतिकता की कसौटी पर खरा उतरना चाहिए ।
चाणक्य नीतियां और उनके द्वारा दी गई शिक्षा आधुनिक युग की राजनीति, मैनेजमेंट और व्यापार में उतनी ही कारगर है जितनी सदियों पहले थी।