आचार्य चाणक्य के अनुसार बहुत सुंदर पत्नी अपने ही पति की शत्रु के समान होती है। इसके पीछे लाइफ मैनेजमेंट का गहरा सूत्र छिपा होता है। जानें इस बारे में क्या लिखा है चाणक्य नीति में…
ऋणकर्ता पिता शत्रुर्माता च व्यभिचारिणी।
भार्या रूपवती शत्रु: पुत्र: शत्रुरपण्डित:।।
ऋणी पिता और बुरे आचरण वाली माता अपने पुत्र की दुश्मन होती है। वहीं बहुत सुंदर पत्नी अपने पति की और मूर्ख पुत्र अपने माता-पिता के शत्रु के समान होता है।
चाणक्य नीति के अनुसार, अगर पिता ऋण लेकर मर जाए तो उसका कर्ज पुत्र को ही चुकाना पड़ता है। चाहे पुत्र की आर्थिक स्थिति कैसी भी हो। इसलिए ऋणी पिता पुत्र का शत्रु होता है।
यदि किसी व्यक्ति की माता बुरे आचरण वाली है तो इस वजह से उसे समाज में सम्मान नहीं मिल पाता और वो उपहास का पात्र भी बन जाता है। इसलिए ऐसी माता को संतान की शत्रु कहा गया है।
यदि किसी की पत्नी बहुत अधिक सुंदर है और पति की स्थिति ठीक नहीं है तो ऐसी स्त्री को पाने के लिए अन्य लोग कईं तरह के प्रयास करते हैं। ये स्थिति पति के लिए मृत्यु के समान होती है।
चाणक्य चाणक्य के अनुसार, मूर्ख पुत्र जीवन भर अपने माता-पिता पर बोझ बना रहता है और उसकी वजह से कईं बार माता-पिता का अपमान भी होता है। इसलिए ऐसा कहा गया है।