आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में तीन ऐसी चीजों के बारे में बताया है जिनसे न तो ज्यादा दूरी अच्छी है और न ही नजदीकी। आगे जानिए कौन-सी हैं वो वो 3 चीजें…
अत्यासन्ना विनाशाय दूरस्था न फलप्रदा:,
सेवितव्यं मध्याभागेन राजा बहिर्गुरू: स्त्रियं:
अर्थ- शक्तिशाली व्यक्ति, अग्नि और स्त्री, इन तीनों के न हो तो बहुत अधिक नजदीक जाना चाहिए और न ही बहुत अधिक दूर। इनके साथ संतुलन बनाकर व्यवहार करना चाहिए।
अग्नि के न अधिक पास जाना चाहिए और न ही अधिक दूर। ये दोनों ही स्थिति हमारे लिए परेशान करने वाली हो सकती है। इसलिए अग्नि के साथ भी संतुलन बनाकर रखना चाहिए।
शक्तिशाली व्यक्ति के अर्थ है कि धन-बल में जो आपसे अधिक हो। ऐसे लोगों न तो दोस्ती अच्छी होती है और न ही दुश्मनी। ऐसे लोगों से संतुलन बनाकर व्यवहार करना चाहिए।
स्त्री के पास अधिक समय तक रहने से कईं तरह के नुकसान हो सकते हैं जबकि स्त्री से अधिक दूर रहना भी ठीक नहीं है। इसलिए महिलाओं के साथ संतुलित व्यवहार करें तो अच्छा है।