दुनिया के 6 सबसे भयंकर दुख कौन-से हैं, इसके बारे में आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया गया है। जिस व्यक्ति को ये दुख होते हैं उसका जीवन नर्क समान हो जाता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ‘बुरे लोगों का साथ, नीच व्यक्ति की सेवा, झगड़ालू पत्नी, मूर्ख पुत्र, विधवा पुत्री और बेस्वाद खाना, ये 6 दुनिया के सबसे बड़े दुख हैं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, कईं बार हमें न चाहते हुए कुछ ऐसे लोगों के साथ रहना पड़ता है, जिन्हें हम पसंद नहीं करते। ये स्थिति काफी कष्टदाई और दुख पहुंचाने वाली रहती है।
चाणक्य नीति के अनुसार, कभी-कभी परिस्थिति ऐसी बनती है कि हमें दुष्ट, कपटी और नीच लोगों की सेवा करनी पड़ती है। ये लोग काम तो जमकर करवाते हैं, लेकिन उसका मूल्य नहीं देते।
जिस व्यक्ति की पत्नी छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करती है और दिन भर व्यर्थ के विवाद खड़े करती रहती है, उसका जीवन नरक के समान हो जाता है। ये भी दुख का कारण है।
कईं बार हमें ऐसा भोजन करना पड़ता है, जिसमें न तो स्वाद होता है और न ही पौष्टिकता। अगर ना चाहकर भी लगातार आपको ऐसा भोजन करना पड़े तो ये भी एक दुख ही है।
कहते हैं कि पुत्र बुढ़ापे में माता-पिता का सहारा होता है, लेकिन अगर पुत्र मूर्ख निकल जाए तो वह उम्र भर माता-पिता पर ही आश्रित रह जाता है। ये भी दुनिया के बड़े दुखों में से एक है।
हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनकी पुत्री को संसार का हर सुख मिले, लेकिन यही पुत्री यदि असमय विधवा हो जाए तो दुनिया में इससे बड़ा दुख कोई और नहीं हो सकता।