हिंदू धर्म में अनेक देवियों की मान्यता है, दशा माता भी इनमें से एक है। हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दशा माता का व्रत और पूजा करने की परंपरा है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, दशा माता देवी पार्वती का ही एक रूप हैं। मान्यता है कि दशा माता की पूजा करने से घर-परिवार की स्थिति में सुधार होता है और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि 03 अप्रैल, बुधवार की शाम 06:29 से 04 अप्रैल, गुरुवार की शाम 04:14 तक रहेगी। इस तरह ये तिथि 2 दिन तक रहेगी।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, चूंकि चैत्र कृष्ण दशमी तिथि का सूर्योदय 4 अप्रैल, गुरुवार को उदय होगा, इसलिए इसी दिन दशा माता व्रत किया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य पं. द्विवेदी के अनुसार, 4 अप्रैल को ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से सिद्ध, साध्य, ध्वजा और श्रीवत्स नाम के 4 शुभ योग बनेंगे। इन शुभ योगों से इस व्रत का महत्व और बढ़ जाएगा।
दशा माता की कथा राजा नल से जुड़ी है। राजा होने के बाद भी उन्हें पत्नी सहित जंगलों में भटकना पड़ा, तब दशा माता व्रत के प्रभाव से ही उन्हें अपना खोया हुआ राज-पाठ वापस मिल पाया।