27 नवंबर, सोमवार को काशी में देव दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है। हजारा दीप इस उत्सव की खास पहचान है। आगे जानें क्या है हजारा दीप और इसके इतिहास के बारे में…
काशी के पंचगंगा घाट पर पत्थरों से बना एक प्राचीन दीप स्तंभ है। इस पर एक हजार दीपक बनाए गए हैं। एक हजार दीपकों के कारण ही इसे हजारा दीप स्तंभ कहते हैं।
17 वीं शताब्दी में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने पंचगंगा घाट पर पत्थरों से बना खूबसूरत हजारा दीपस्तंभ स्थापित करवाया था। यह हजारा दीप देव दीपावली की परंपरा का साक्षी है।
काशी में मनाई जाने वाली देव दिवाली का पहला दीपक पंचगंगा घाट पर ही जलाया जाता है और इसके बाद हजारा दीप स्तंभ के दीपक जलाए जाते हैं। इसी के साथ देव दिवाली का पर्व शुरू होता है।
इतिहासकार बताते हैं कि पहले देव दिवाली के मौके पर सिर्फ पंचगंगा घाट पर और हजारा दीप स्तंभ पर ही दीपक जलाए जाते थे। धीरे-धीरे अब ये उत्सव भव्य रूप ले चुका है।
पहले के समय में देव दिवाली उत्सव सिर्फ हजारा दीप स्तंभ पर दीपक लगाकर ही मनाया जाता था। ये प्राचीन परंपरा का हिस्सा है, इसलिए इसे देव दिवाली की पहचान माना जाता है।