इस बार दिवाली 12 नवंबर, रविवार को है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में धन की कमी नहीं होती।
ग्रंथों में देवी लक्ष्मी की एक बहन के बारे में भी बताया गया है, जिनका नाम अलक्ष्मी है। बहुत कम लोग इनके बारे में जानते हैं। मान्यता है कि अलक्ष्मी किसी को भी कंगाल बना सकती हैं।
मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान ही अलक्ष्मी भी निकली थी, लेकिन इनकी गिनती 14 रत्नों में नहीं होती। इनका स्वरूप वृद्ध स्त्री का है, बाल पीले, आंखें लाल व मुख काला है।
पद्मपुराण के अनुसार, इनका विवाह उद्दालक ऋषि से हुआ था। वहीं लिंगपुराण में इनके पति का नाम दु:सह नामक ब्राह्मण बताया गया है। पीपल वृक्ष के नीचे भी इनका स्थान माना जाता है।
जहां भी अशांति होती है और साफ-सफाई का अभाव होता है, देवी अलक्ष्मी वहीं ठहर जाती हैं और वहां रहने वाले लोगों के धन का नाश कर देती हैं। इसलिए इनकी कोई पूजा नहीं करता।
देवी अलक्ष्मी हड्डी, कोयला तथा बिखरे हुए केश (बाल) में निवास करती हैं। यानी ऐसे घरों में जहां मांस पकाया जाता है। स्त्रियां अपने बाल खुले रखती हैं और जमीन के नीचे कोयला होता है।