विवाह के बाद महिलाएं बहुत सी चीजें मायके से ससुराल लेकर आती हैं। ऐसा होना आम बात है। मान्यता है कि महिलाओं को मायके से कुछ चीजें भूलकर भी ससुराल नहीं लानी चाहिए।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, महिलाएं अपने मायके से वैसे तो हर चीज ससुराल लेकर आ सकती हैं, लेकिन ’अचार’ नहीं। इस मान्यता के पीछे बहुत सारे मनोवैज्ञानिक कारण छिपे हैं।
अचार कच्चे आमों से बनाया जाता है जो कि बहुत खट्टा होता है। मान्यता है कि यदि महिलाएं अपने मायके से अचार लेकर ससुराल आती हैं तो संबंधों में खटास बढ़ सकती है।
अचार को चटपटा बनाने के लिए कईं सारे मासले भी डाले जाते हैं, जिससे इसमें थोड़ा तीखापन भी आ जाता है। कहते हैं कि ये तीखापन वैवाहिक जीवन में अलगाव पैदा कर सकता है।
जरूरी नहीं कि सिर्फ कच्चे आम से बना अचार महिलाएं ससुराल लेकर न आएं। अन्य कोई भी अचार जैसे नींबू, मिर्ची का अचार भी ससुराल लाने से बचना चाहिए।
यदि किसी महिला को मां के हाथ का अचार खाना है तो उन्हें अपने घर बुलाकर अचार बनवा सकती हैं। लेकिन उनके घर पर बना हुआ अचार भूलकर अपने घर लेकर नहीं आना चाहिए।
मध्य प्रदेश सिहोर के प्रसिद्ध कथा वाचक संत पं. प्रदीप मिश्रा भी अपने प्रवचनों में भरे मंच से बोल चुके हैं कि कि महिलाओं को अपने मायके से अचार लेकर ससुराल में नहीं लाना चाहिए।