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किन 2 प्रकार के लोगों को पत्थर बांधकर समुद्र में फेंक देना चाहिए?

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सुभाषितानी के श्लोक के अनुसार

द्वौ अम्भसि निवेष्टव्यौ गले बद्ध्वा दृढां शिलाम् 
धनवन्तम् अदातारम् दरिद्रं च अतपस्विनम
अर्थ- जो धनी दान न करे और जो निर्धन श्रम न करे, इन्हें पत्थर बांधकर समुद्र में फेंक देना चाहिए

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धनी को दान क्यों करना चाहिए?

जिस व्यक्ति के पास अपनी आवश्यकता से अधिक धन है, उसे इसका दान जरूरतमंदों को करना चाहिए, यही धर्म है। जो व्यक्ति इस धर्म का पालन न करे, वो दंड का भागी होता है।

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निर्धन के लिए परिश्रम क्यों जरूरी?

जिस व्यक्ति का पास धन नहीं है और इसके बाद भी वह अगर मेहनत नहीं करता तो वह जीवन पर गरीब ही रहेगा। इसलिए गरीबों के लिए मेहनत करना अति आवश्यक माना गया है।

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क्या है इस श्लोक का अर्थ?

इस श्लोक में लिखा है कि इन 2 लोगों को पत्थर बांधकर समुद्र में फेंक देना चाहिए, का सीधा अर्थ है ऐसे लोग दंड के अधिकारी होते हैं, बिना दंड के ये अपने कर्तव्य ठीक से पूरे नहीं करते।

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ऐसे लोगों का करें सामाजिक बहिष्कार

यहां समुद्र में फेंकने से अर्थ किसी को मृत्युदंड देना नहीं बल्कि उसका अभिप्राय सामाजिक रूप से त्याग करने का है। यानी ऐसे लोगों से मेल-जोल बंद कर देना चाहिए।

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इसलिए लिखा गया ये श्लोक

ऊपर बताया गया श्लोक इसलिए लिखा गया ताकि दंड के डर से ही सही धनी और निर्धन लोगों को अपना-अपना कर्तव्य याद रहें और इसी के अनुसार, वे अपनी जीवन-यापन करें।

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