फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर महाशिवरात्रि पर्व शिव-पार्वती के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है। लेकिन ग्रंथों में शिव-पार्वती विवाह की तिथि दूसरी बताई गई है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, महाशिवरात्रि पर शिवजी के विवाह की परंपरा निभाई जाती है, लेकिन शिवपुराण में शिव विवाह की तिथि कुछ और ही बताई गई है।
शिव महापुराण के अनुसार, शिव-पार्वती का विवाह मार्गशीर्ष कृष्ण द्वितीया तिथि को हुआ था। रुद्र संहिता के 58-61वें श्लोक में इसका वर्णन है। ये तिथि नवंबर-दिसंबर मास में आती है।
शिव महापुराण के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि पर ही भगवान शिव ज्योतिर्लिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि पर हर साल महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
शिवलिंग को शिव-पार्वती का संयुक्त रूप माना जाता है। दोनों पहली बार एक साथ महाशिवरात्रि पर इस रूप में प्रकट हुए थे। इस कारण इसी तिथि पर उनका विवाह उत्सव मनाते हैं।