कालभैरव को क्यों लगाते हैं इमरती-दहीबड़े का भोग? वजह है चौंकाने वाली
Spiritual Dec 05 2023
Author: Manish Meharele Image Credits:adobe stock
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कालभैरव जयंती 5 दिसंबर को
अगहन कृष्ण अष्टमी को कालभैरव जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 5 दिसंबर, मंगलवार को है। इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
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ये भोग कालभैरव को प्रिय
कालभैरव जयंती पर इन्हें दही बड़ा और इमरती का भोग विशेष रूप से लगाते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कालभैरव को ये दोनों चीजें खास तौर पर क्यों चढ़ाते हैं। आगे जानिए इसका कारण…
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2 तरह से होती है कालभैरव की पूजा
कालभैरव की पूजा तामसिक और सात्विक दोनों तरह से होती है। तामसिक पूजा में मांस-मदिरा का उपयोग होता है, जबकि सात्विक पूजा में दहीबड़े और इमरती का भोग लगाते हैं।
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उड़द दाल होती है तामसिक
दहीबड़े और इमरती को बनाने में उड़द दाल का उपयोग किया जाता है। मान्यता है कि प्याज और लहसुन की तरह उड़द दाल भी तामसिक होती है। इसे खाने से मन में उत्तेजना पैदा होती है।
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इसलिए लगाते हैं दही बड़े-इमरती का भोग
उड़द दाल को तामसिक यानी मांसाहार के समकक्ष माना गया है, इसलिए जो लोग कालभैरव को मांस-मदिरा नहीं चढ़ा सकते वे दही बड़े और इमरती का भोग लगाकर उन्हें प्रसन्न करते हैं।
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ये है मान्यता
उड़द दाल को तामसिक क्यों मनाते हैं इसके पीछे अलग-अलग तर्क है। मान्यता है कि उड़द दाल की उत्पत्ति गाय के खून से हुई है, इसलिए ब्राह्मण इसे खाने से परहेज करते हैं।