Hindi

कालभैरव को क्यों लगाते हैं इमरती-दहीबड़े का भोग? वजह है चौंकाने वाली

Hindi

कालभैरव जयंती 5 दिसंबर को

अगहन कृष्ण अष्टमी को कालभैरव जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 5 दिसंबर, मंगलवार को है। इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा विशेष रूप से की जाती है।

Image credits: Getty
Hindi

ये भोग कालभैरव को प्रिय

कालभैरव जयंती पर इन्हें दही बड़ा और इमरती का भोग विशेष रूप से लगाते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कालभैरव को ये दोनों चीजें खास तौर पर क्यों चढ़ाते हैं। आगे जानिए इसका कारण…

Image credits: Getty
Hindi

2 तरह से होती है कालभैरव की पूजा

कालभैरव की पूजा तामसिक और सात्विक दोनों तरह से होती है। तामसिक पूजा में मांस-मदिरा का उपयोग होता है, जबकि सात्विक पूजा में दहीबड़े और इमरती का भोग लगाते हैं।

Image credits: Getty
Hindi

उड़द दाल होती है तामसिक

दहीबड़े और इमरती को बनाने में उड़द दाल का उपयोग किया जाता है। मान्यता है कि प्याज और लहसुन की तरह उड़द दाल भी तामसिक होती है। इसे खाने से मन में उत्तेजना पैदा होती है।

Image credits: Getty
Hindi

इसलिए लगाते हैं दही बड़े-इमरती का भोग

उड़द दाल को तामसिक यानी मांसाहार के समकक्ष माना गया है, इसलिए जो लोग कालभैरव को मांस-मदिरा नहीं चढ़ा सकते वे दही बड़े और इमरती का भोग लगाकर उन्हें प्रसन्न करते हैं।

Image credits: Getty
Hindi

ये है मान्यता

उड़द दाल को तामसिक क्यों मनाते हैं इसके पीछे अलग-अलग तर्क है। मान्यता है कि उड़द दाल की उत्पत्ति गाय के खून से हुई है, इसलिए ब्राह्मण इसे खाने से परहेज करते हैं।

Image credits: adobe stock

Kaalbhairav Jayanti 2023: घर में भगवान कालभैरव की तस्वीर क्यों न रखें?

Dev Diwali: क्या है ‘हजारा दीप स्तंभ’, जो है काशी देव दिवाली की पहचान?

‘सप्तपुरी’ यानी प्राचीन 7 शहरों में से एक है काशी, बाकी 6 कौन-से?

काशी में कहां-कितनी बजे जलाया जाएगा ‘देव दिवाली 2023’ का पहला दीपक?