धर्म ग्रंथों के अनुसार, कालभैरव भगवान शिव के अवतार हैं। हर साल अगहन मास में कालभैरव जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 5 दिसंबर, मंगलवार को है।
वास्तु के अनुसार, भगवान कालभैरव की प्रतिमा या तस्वीर भूलकर भी कभी घर में नहीं रखना चाहिए। बहुत कम लोग इसके पीछे का कारण जानते हैं। आगे जानिए क्या है इसकी वजह…
भगवान शिव का अवतार होने के कारण कालभैरव पूजनीय हैं, लेकिन इनकी पूजा सिर्फ मंदिर में ही करनी चाहिए, घर में नहीं। घर में इनकी मूर्ति या प्रतिमा स्थापनी करना शुभ नहीं माना जाता।
कालभैरव का स्वभाव अति क्रोधी है और स्वरूप भी विचलित करने वाला है। वास्तु के अनुसार, इनके इसी स्वरूप के कारण घर में निगेटिविटी फैलती है जो ठीक नहीं मानी जाती।
घर में निगेटिविटी ज्यादा होने से वहां रहने वाले लोगों पर इसका बुरा प्रभाव होता है और कालभैरव का विचलित करने वाला स्वरूप भी इनका ध्यान भटकाता है।
भगवान कालभैरव की पूजा तंत्र-मंत्र के माध्यम से की जाती है, जो कि घर में करना संभव नहीं है। इसलिए घर में कभी भूलकर भी कालभैरव की प्रतिमा या तस्वीर नहीं रखनी चाहिए।