हिंदू वर्ष के दूसरे महीने वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। अनेक धर्म ग्रंथों व ज्योतिष शास्त्र में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है।
ज्योतिष में 4 स्वयंसिद्ध मुहूर्तों के बारे में बताया गया है, अक्षय तृतीया भी इनमें से एक है। स्वयंसिद्ध मुहूर्त यानी इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखकर किया जा सकता है।
पंचांग के अनुसार, इस बार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 मई, शुक्रवार की सुबह 04 बजकर 18 मिनिट से शुरू होगी, जो देर रात 02 बजकर 50 मिनिट तक रहेगी।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार चूंकि तृतीया तिथि का सूर्योदय 10 मई, शुक्रवार को होगा, इसलिए इसी दिन अक्षय तृतीया का पर्व मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा।
इस बार अक्षय तृतीया पर कईं शुभ योग बनेंगे जिसके चलते ये पर्व और भी खास हो गया है। इस दिन सुकर्मा के अलावा मित्र और मानस नाम के 2 अन्य शुभ योग भी दिन भर रहेंगे।
अक्षय तृतीया को विवाह के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, खरीदी आदि से जीवन में खुशहाली बनी रहती है।