ज्योतिष शास्त्र में 16 तिथियां बताई गई हैं, अमावस्या भी इनमें से एक है। धर्म ग्रंथों में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस तिथि के देवता पितृ हैं। ये तिथि हर महीने आती है।
एक साल में कुल 12 बार अमावस्या तिथि आती है। इनमें से कुछ अमावस्या बहुत खास होती है। भूतड़ी अमावस्या भी इनमें से एक है। ये हिंदू वर्ष की अंतिम अमावस्या होती है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, चैत्र मास की अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या कहते हैं। इसके अगले दिन से ही हिंदू नववर्ष यानी विक्रम संवत शुरू होता है। इस अमावस्या का विशेष महत्व है।
साल 2024 में भूतड़ी अमावस्या 8 अप्रैल, सोमवार को है। सोमवार को अमावस्या होने से ये सोमवती अमावस्या कहलाएगी। इस दिन सूर्य ग्रहण भी होगा, लेकिन ये भारत में नहीं दिखेगा।
मान्यता है कि भूतड़ी अमावस्या पर निगेटिव शक्तियां यानी भूत-प्रेत आदि उग्र रूप में होते हैं, जिन्हें शांत करने के लिए विशेष उपाय, पवित्र नदी में स्नान आदि कार्य किए जाते हैं।
भूतड़ी अमावस्या पर सबसे बड़ा मेला एमपी के नर्मटा तट पर धाराजी में लगता है। यहां डुबकी लगाकर लोग ऊपरी बाधाओं से मुक्ति पाते हैं। उज्जैन में क्षिप्रा तट पर भी ऐसा ही मेला लगता है।