छठ पूजा बिहार और उत्तर प्रदेश का सबसे प्रमुख पर्व है। इस दौरान लाखों लोग नदी के तट पर इकट्ठा होकर सूर्यदेव की पूजा करते हैं। इस पर्व में छठ मैया की पूजा भी की जाती है।
छठ पूजा का पर्व 4 दिनों तक मनाया जाता है। इस बार छठ पूजा का पर्व 17 नवंबर, शुक्रवार से शुरू होगा जो 20 नवंबर, सोमवार तक मनाया जाएगा। मुख्य पर्व 19 नवंबर, रविवार को है।
छठ व्रत के दौरान अनेक नियमों का पालन करना किया जाता है। ये नियम काफी सख्त भी होते हैं। इन नियमों का सिर्फ शरीर ही नहीं मन से भी करना पड़ता है। जानें छठ पूजा के नियम…
छठ व्रत के दौरान पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। पवित्रता सिर्फ शरीर और घर से ही नहीं मन में भी होनी चाहिए। यानी इस दौरान किसी तरह की कोई बुरी भावना मन में न लाएं।
छठ व्रत के दौरान पति-पत्नी दोनों को ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है। यहां तक कि ऐसा विचार भी मन में न लाएं जिससे ब्रह्मचर्य भंग होता है। ये भी छठ पूजा का एक जरूर नियम है।
अगर घर में कोई सदस्य छठ व्रत करें तो अन्य सदस्यों को भी घर की पवित्रता बनाए रखनी चाहिए। इस दौरान कोई भी मांस-मदिरा आदि घर में न लेकर आएं और न ही बाहर खाएं।
छठ व्रत के दौरान दान का भी विशेष महत्व है। अगर इन चार दिनों में कोई भिक्षुक आशा लेकर आपके घर आए तो उसे निराश न करें। जितना संभव हो सके, उतना दान अवश्य करें।
छठ पूजा का पर्व संयम रखना सीखाता है। इस दौरान किसी पर भी क्रोध न करें। धर्म ग्रंथों में व्रत के दौरान क्रोध को भी निषेध माना गया है। इससे व्रत का पूरा शुभ फल नहीं मिल पाता।