हर साल चैत्र कृष्ण सप्तमी और अष्टमी तिथि पर देवी शीतला की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन देवी की पूजा में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है। आगे जानिए ये खास बातें…
इस बार शीतला सप्तमी 1 अप्रैल, सोमवार को और शीतला अष्टमी 2 अप्रैल, मंगलवार है। कुछ स्थानों पर सप्तमी तिथि पर तो कुछ जगह अष्टमी तिथि पर देवी शीतला की पूजा होगी।
देवी शीतला की पूजा हमेशा ठंडी चीजों से ही की जाती है। जबकि दीपक और अगरबत्ती में अग्नि का उपयोग होता है। इसलिए इनकी पूजा में दीपक-अगरबत्ती नहीं जलाई जाती।
देवी शीतला की पूजा में दीपक जलाकर नहीं रखा जाता बल्कि दीपक में तेल और बत्ती लगाकर ऐसे ही रख दिया जाता है। मान्यता है इससे भी देवी शीतला की कृपा आप पर बनी रहती है।
देवी शीतला को कभी भी गर्म खाने का भोग नहीं लगाया जाता, उन्हें ठंडी चीजें ही चढ़ाई जाती हैं। इसलिए शीतला पूजन का भोग महिलाएं एक दिन पहले ही बनाकर रख लेती हैं।
मान्यता है कि देवी शीतला की पूजा करने से शीतजन्य रोग जैसे चिकन पॉक्स नहीं होते। जिन लोगों को ये बीमारी हो जाती है, वे देवी शीतला की पूजा कर रोगमुक्त होने की कामना करते हैं।