‘मैं ऐसा क्या करूं कि मेरे पापों और गलत कामों का प्रभाव परिवार और बच्चों पर न पड़े?’ ये सवाल प्रेमानंद महाराज से एक भक्त ने पूछा। आगे जानें क्या कहा प्रेमानंद महाराज ने…
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ‘आपने कैसे पास किए हैं, पहले इस पर विचार करना जरुरी है। अगर आपने साधारण पाप हैं तो ये नाम जाप और भगवान के चिंतन से नष्ट हो जाएंगे।’
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ‘यदि आपने कोई असाधारण पाप किए हैं तो इसके अशुभ फल से बचने के लिए आपको प्रायश्चित करना पड़ेगा। बिना प्रायश्चित के पाप नष्ट नहीं होंगे।’
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ‘गर्भ हत्या, शराब पीना, परस्त्री गमन और मांस खाना, ये सभी असाधारण पाप हैं लेकिन आजकल गृहस्थ जीवन में ये पाप होना आम बात हो गई है।’
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ‘इन आसाधारण पापों को नष्ट करने के लिए प्रायश्चित जरूरी है, नहीं तो ये पाप पूरे परिवार को ले डूबते हैं। यानी इसका असर पूरे परिवार पर होता है।’
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ‘इन महापापों को नष्ट करने के लिए श्रीमद् भागवत का साप्ताहिक पारायण किसी विद्वान से करवाएं। ये पाठ संस्कृत भाषा में किया जाना चाहिए।’
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ‘7 दिनों में यदि श्रीमद्भागवत के 18 हजार श्लोकों का पाठ संस्कृत में करवाया जाए तो बड़े से बड़ा पाप भी नष्ट हो जाता है। श्रीमद्भागवत की ऐसी महिमा है।’
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ‘इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि जिन पापों का हम प्रायश्चित कर रहे हैं, वे पाप दोबारा न हो। भगवान अंतिम समय तक हमें पाप नष्ट करने का मौका देते हैं।’