महाभारत की कथा जितनी विशाल है, उतनी ही रोचक भी है। कुछ घटनाओं के बारे में लोगों को पता भी नहीं है। ऐसी ही एक घटना अर्जुन और युधिष्ठिर से जुड़ी है। जानें क्या है वो घटना…
महाभारत के अनुसार, जब कौरवों और पांडवों का युद्ध चल रहा था तब कर्ण ने युधिष्ठिर को घायल कर उन्हें अपमानित कर जीवित ही छोड़ दिया। युधिष्ठिर कर्ण का कुछ नहीं कर पाए।
जब ये बात अर्जुन को पता चली तो वे श्रीकृष्ण के साथ युधिष्ठिर का हाल जानने के लिए उनके शिविर में आए। अर्जुन को देख युधिष्ठिर को लगा कि उन्होंने कर्ण का वध कर दिया है।
जब युधिष्ठिर को पता चला कि अर्जुन सिर्फ उनका हाल जानने आए हैं और कर्ण अभी भी जीवित है तो क्रोध में आकर उन्होंने अर्जुन से कहा कि तुम अपना गांडीव का त्याग कर दो।
युधिष्ठिर की बात सुन अर्जुन ने तलवार निकाली ली। श्रीकृष्ण ने इसका कारण पूछा, तब उन्होंने बताया कि ‘मैंने प्रतिज्ञा की है जो भी मुझे गांडीव त्यागने को बोलेगा, मैं उसका वध कर दूंगा।’
अर्जुन को श्रीकृष्ण को समझाया कि अगर तुम युधिष्ठिर का वध कर दोगे तो ये युद्ध हम बिना लड़े ही हार जाएंगे। तब अर्जुन ने श्रीकृष्ण ने पूछा कि तो फिर मैं कैसे अपनी प्रतिज्ञा पूरी करूं?
श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि ‘तुम युधिष्ठिर को खूब भला-बुरा कहो। सम्मान योग्य व्यक्ति का अपमान करना उसका वध करने जैसा ही माना गया है।’ अर्जुन ने ऐसा ही किया।
इस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को हाथों युधिष्ठिर का वध होने से रोक लिया। इसके बाद समय आने पर अर्जुन को कर्ण का वध भी किया और युद्ध में विजय भी प्राप्त की।