30 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में बने महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय अयोध्या धाम का उद्घाटन करेंगे। इस मौके पर जानिए कौन थे महर्षि वाल्मीकि व उनसे जुड़ी खास बातें…
महर्षि वाल्मीकि श्रीराम के समकालीन थे। उन्होंने ही श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण की रचना की, जिसे लव-कुश ने श्रीराम के दरबार में गाकर सुनाया था। इन्हें आदि कवि भी कहा जाता है।
महर्षि वाल्मीकि ने ब्रह्मदेव के कहने पर रामायण की रचना की थी। इन्होंने कठिन तपस्या कर महर्षि पद प्राप्त किया था। शरद पूर्णिमा पर वाल्मीकि जयंती का पर्व मनाया जाता है।
महर्षि वाल्मीकि के पिता का नाम कश्यप और माता का नाम चर्षणी थे। इनके एक भाई भी थे, जिनका नाम भृगु थे। उपनिषद के मुताबिक ये भी अपने भाई भृगु की भांति परम ज्ञानी थे।
तपस्या करते समय इनके शरीर पर दीमकों ने बांबी बना ली, जिससे ये पूरी तरह से ढंक गए। साधना पूरी करके जब ये बांबी जिसे वल्मीकि भी कहते हैं, से बाहर निकले तो इनका नाम वाल्मीकि पड़ा।
श्रीराम ने देवी सीता का त्याग कर दिया, तब महर्षि वाल्मीकि ने ही उन्हें अपने आश्रम में शरण दी। यहीं पर उन्होंने लव-कुश को जन्म दिया। लव-कुश को शिक्षा भी महर्षि वाल्मीकि ने ही दी।