महाशिवरात्रि 26 फरवरी, बुधवार को है। इस मौके पर आप घर बैठे ही उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के 10 रूपों के दर्शन कर सकते हैं। आगे देखिए बाबा महाकाल के 10 श्रृंगार…
12 ज्योतिर्लिंगों में महाकाल का स्थाना तीसरा है। ये ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में है। उज्जैन का पुरातन नाम उज्जयिनी है, जो सप्तपुरियों यानी सबसे प्राचीन शहर में से एक है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की सबसे बड़ी विशेषता है कि ये 12 में से ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। जिसके कारण इसका तांत्रिक महत्व कहीं अधिक है।
महाकाल मंदिर में रोज सुबह होने वाली भस्मारती विश्व प्रसिद्ध है। कहते हैं कि पुरातन समय में मुर्दें की राख से यहां भस्मारती की जाती थी। कालांतर में ये परंपरा बंद हो गई।
भगवान महाकाल को उज्जैन का राजा भी कहा जाता है। यहां के लोग उन्हें अपना रक्षक और राजा मानकर ही इनकी पूजा करते हैं।
हर वर्ष सावन और भादौ के महीने में भगवान महाकाल की चलित प्रतिमा को पालकी में बैठाकर सवारी निकालने की परंपरा है। सवारी को देखने को लिए लाखों लोग यहां आते हैं।
भगवान महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा सिंधिया वंश ने शुरू की थी। मान्यता है कि स्वयं भगवान महाकाल राजा बनकर प्रजा का हाल जानने निकलते हैं।
भाद्रपद मास के दूसरे सोमवार को भगवान महाकाल की जो अंतिम सवारी निकाली जाती है, उसे शाही सवारी कहते हैं। इस सवारी का महत्व सबसे अधिक माना जाता है।
महाकाल मंदिर के गर्भ गृह में ज्योतिर्लिंग के ठीक ऊपर छत पर चांदी से बना हुआ रुद्र यंत्र स्थापित है। ऐसा यंत्र आपको अन्य कहीं देखने को नहीं मिलेगा।