इस बार श्राद्ध पक्ष 14 अक्टूबर, शनिवार तक रहेगा। श्राद्ध पक्ष की कईं तिथियां बहुत ही खास मानी गई हैं। नवमी तिथि भी इनमें से एक है। इसे मातृ नवमी कहते हैं। आगे जानिए कब है ये तिथि…
पंचांग के अनुसार, श्राद्ध पक्ष की नवमी तिथि 7 अक्टूबर, शनिवार को है। इस दिन सुहागिन स्थिति में मृत हुई परिवार की महिलाओं का श्राद्ध करना चाहिए। इसीलिए इसे मातृ नवमी कहा गया है।
मातृ नवमी पर सुहागिन ब्राह्मण स्त्री को घर पर भोजन के लिए बुलाएं। भोजन के बाद उसे सुहाग की सामग्री जैसे कुंकुम, टिकी, मेहंदी आदि चीजों का दान भी करें, साथ में दक्षिणा भी अवश्य दें।
मातृ नवमी पर सुगलते हुए कंडे (उपले) पर घी-गुड़ की 5 आहुति दें। इसके बाद हाथ में जल लेकर ऊं मातृ देवताभ्यो नम: बोलकर इसे अंगूठे के माध्यम से जमीन पर छोड़ दें।
मातृ नवमी पर गाय को हरा चारा खिलाएं। कुत्ते को रोटी खिलाएं और पक्षियों के लिए छत पर भोजन रखें। चींटियों के लिए किसी सुनसान जगह पर शक्कर मिश्रित आटा डालें।
मातृ नवमी पर जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाएं। संभव हो तो महिलाओं को वस्त्र दान करें। इतना संभव न हो तो किसी ब्राह्मण के घर अपनी शक्ति अनुसार कच्ची भोजन सामग्री का दान करें।
मातृ नवमी पर परिवार की विवाहित बहन-बेटियों को उनके सपरिवार सहित भोजन के लिए बुलाएं और उन्हें वस्त्र आदि देकर ससम्मान विदा करें। साथ ही पैर छूकर उनका आशीर्वाद भी लें।