प्याज हर घर के किचन में पाया जाता है। कुछ दिनों से इसकी कीमतो में अचानक तेजी देखी जा रही है। 20 रुपए किलो में मिलने वाले प्याज की कीमत अचानक 80 रुपए किलो हो गई है।
हिंदू धर्म में प्याज की उत्पत्ति को लेकर कईं मान्यताएं और कथाएं प्रचलित हैं। साधु-संत भी इसे खाने से परहेज करते हैं। आगे जानिए धर्म ग्रंथों में क्या लिखा है प्याज के बारे में…
प्याज को सेहत के लिए भले ही फायदेमंद माना जाता है, लेकिन धर्म ग्रंथों में इसे खाना मना किया गया है। कहते हैं कि प्याज तामसिक भोजन है, इसे खाने में मन में बुरे विचार आते हैं।
कथाओं के अनुसार, जब स्वरभानु दैत्य ने छल से अमृत पी लिया तो क्रोधित होकर भगवान विष्णु ने उसका मस्तक काट दिया। उसके खून से ही प्याज की उत्पत्ति मानी जाती है।
चूंकि प्याज की उत्पत्ति एक राक्षस से खून से हुई मानी जाती है, इसीलिए धर्म ग्रंथों में इसे खाने से मना किया गया है। साधु-संतों के साथ-साथ और भी कईं लोग इसे खाने से परहेज करते हैं।
धर्म ग्रंथों में तीन तरह के भोजन बताए गए हैं- सात्विक, राजसिक और तामसिक। इनमें से प्याज को तामसिक भोजन माना गया है यानी ऐसा भोजन जिसे खाने से संयम भंग हो सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार, प्याज में औषधीय गुण तो होते हीं हैं साथ ही इसे खाने से उत्तेजना भी बढ़ती है और बुरे विचार मन में आते हैं। इसलिए साधु-संत इसे खाने से बचते हैं।