जिस तिथि पर पितरों की मृत्यु हुई हो, उसी तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए। अगर पितरों की मृत्यु तिथि पता न हो तो उस स्थिति में क्या करना चाहिए? आगे जानिए आपके इस प्रश्न का जवाब…
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, श्राद्ध पक्ष 29 सितंबर से शुरू हो चुका है, जो 14 अक्टूबर तक रहेगा। इस दौरान मृत्यु तिथि पर पितरों का श्राद्ध करना चाहिए।
अगर किसी पितृ को मृत्यु तिथि याद न हो तो उसका श्राद्ध कईं विशेष तिथियों पर भी किया जा सकता है। इसके उनकी आत्मा को शांति मिलती है। आगे जानिए कौन-सी हैं वो विशेष तिथियां…
किसी पूर्वज की मृत्यु अविवाहित स्थिति में हुई हो और उसकी मृत्यु तिथि पता न हो तो उनकी आत्मा की शांति के लिए पंचमी तिथि पर श्राद्ध करें। इस बार ये तिथि 3 अक्टूबर, मंगलवार को है।
परिवार में किसी की मृत्यु वृद्धावस्था में हुई हो और उनकी मृत्यु तिथि पता न हो तो नवमी तिथि पर उनका श्राद्ध करें। इसे मातृ नवमी कहते हैं। ये तिथि इस बार 7 अक्टूबर, शनिवार को है।
घटना-दुर्घटना में या हत्या-आत्महत्या द्वारा मारे गए परिजनों के लिए तर्पण-पिंडदान श्राद्ध पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर करने की परंपरा है। इस बार ये तिथि 13 अक्टूबर, शुक्रवार को है।
श्राद्ध की अमावस्या पर सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं, इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इसे सर्व पितृ अमावस्या कहते हैं। इस बार ये तिथि 14 अक्टूबर, शनिवार को है।