मध्य प्रदेश में कईं प्राचीन शहर हैं। उज्जैन भी इनमें से एक है। ये पुराणों में वर्णित सप्तपुरियों में से एक है। इसे प्रदेश की धार्मिक राजधानी भी कहते हैं।
उज्जैन देश का एकमात्र ऐसा शहर है जहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर और 51 शक्तिपीठों में से एक हरिसिद्धि स्थित है। ये शहर क्षिप्रा नदी के किनारे बसा हुआ है।
उज्जैन में हर 12 साल में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें लाखों साधु-संत और भक्त शामिल होते हैं। एक महीने तक चलने वाले इस मेले में नागा और अघोरी साधु भी आते हैं।
उज्जैन में महाकालेश्वर, हरसिद्धि और कालभैरव मंदिर के दर्शन के लिए कईं बड़े-बड़े नेता आते रहते हैं, लेकिन ये सभी दिन में यहां रुकते हैं और रात होने से पहले यहां से चले जाते हैं।
उज्जैन के बारे में एक मान्यता है कि यहां कोई भी बड़ा नेता रात नहीं रूक सकता। अगर वो ऐसा करता है तो रात में उसके साथ कोई अनहोनी घटना हो सकती है।
पुरातन समय में जब कोई उज्जैन का राजा बनता था तो उसे भूखी माता अपना भोग बनाकर खा लेती थी। विक्रमादित्य के राजा बनने के बाद ये सिलसिला खत्म हो गया।
मान्यता है कि उज्जैन में राजा महाकाल हैं। उनके अलावा कोई बड़ा मंत्री या नेता यहां रात रुकता है तो उसके साथ कुछ बुरा हो सकता है। इसलिए कोई बड़ा नेता यहां रात नहीं रुकता।