प्रयागराज महाकुंभ 2025 में अखाड़ों द्वारा हजारों लोगों को नागा साधु की दीक्षा दी जा रही है। नागा बनाने से पहले व्यक्ति का मुंडन जरूर करवाया जाता है। जानें क्यों जरूरी है ये परंपरा…
अखाड़ों की परंपरा के अनुसार जब भी किसी साधारण व्यक्ति को नागा साधु बनाया जाता है तो उसे एक लंबी प्रक्रिया से गुजारा जाता है। इसके लिए सबसे पहले वो स्वयं का पिंडदान करता है।
हिंदू धर्म के अनुसार, जब भी किसी का पिंडदान किया जाता है तो इसके पहले उसका मुंडन जरूर करवाया जाता है। बिना मुंडन के पिंडदान का फल नहीं मिलता, ऐसा धर्म ग्रंथों में लिखा है।
यही कारण है कि जब भी कोई व्यक्ति नागा बनता है तो उससे पहले उसका मुंडन करवाया जाता है और इसके बाद ही वह इस प्रक्रिया में आगे बढ़ता है यानी स्वयं का पिंडदान करता है।
बालों का मुंडन करवाने के पीछे एक संकेत ये भी है कि अब वह संसार की मोह-माया तो त्यागकर आध्यात्म के मार्ग पर चल पड़ा है। अब संसार से उसका कोई मोह और नाता नहीं है।
नागा पहले से पहले जो मुंडन होता है, इसके बाद वे उम्र भर अपने बाल नहीं कटवाते। भले ही किसी भी परिस्थिति हो, नागा साधु अपने बाल को अपनी जान से ज्यादा देखभाल करते हैं।