अयोध्या राम मंदिर में राम लला प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू हो चुका है। कार्यक्रम के पहले दिन प्रायश्चित पूजा की जाएगी। प्रायश्चित पूजा क्या होती है, आगे जानिए…
उज्जैन के पं. नलिन शर्मा के अनुसार, किसी भी मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रायश्चित पूजा करने का विधान है। इसमें शारीरिक, आंतरिक और मानसिक रूप से प्रायश्चित किया जाता है।
प्रायश्चित पूजा में यजमान को पंच द्रव्य और कई सामग्रियों के जल से स्नान करना होता है। संकल्प के माध्यम से गोदान प्रायश्चित भी होता है। इस पूजा में सोने के दान का भी विधान है।
ये पूजा यजमान यानी उस व्यक्ति द्वारा की जाती है जो मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करता है। राम मंदिर में ये पूजा 121 ब्राह्मण कर रहे हैं। इसी पूजा के साथ प्राण प्रतिष्ठा की शुरुआत होगी।
इस पूजा के पीछे मूल भावना ये है कि जो व्यक्ति देव प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कर रहा है यदि उससे जाने-अनजाने में कोई पाप हो गया हो तो वह इस पूजा से उसका प्रायश्चित करता है।
विद्वानों के अनुसार, प्रायश्चित पूजा एक प्रकार का शुद्धिकरण होता है जो जाने-अनजाने में किसी भी प्रकार की गलतियों की क्षमा मांगने के लिए प्रायश्चित के रूप में किया जाता है।