प्रेमानंद महाराज ने कहा ‘विवाह के समय पत्नी को एक वचन दिलाया जाता है, जिसमें कुछ ऐसे स्थानों के बारे में बताया गया है, जहां महिलाओं को कभी अकेले नहीं जाना चाहिए।’
प्रेमानंद महाराज ने बताया ‘उस वचन के अनुसार महिलाओं को निर्जन स्थान, उद्यान, वन, शराब पीने वाले लोगों के सामने और अपने पिता के घर भी अकेले (बिना पति से पूछे) नहीं जाना चाहिए।
ग्रंथों में ये जो बातें कहीं गई हैं वो स्त्री की सुरक्षा के लिए कहीं गई है न कि उनका निरादर करने के लिए। क्योंकि अकेली स्त्री विपरीत परिस्थिति का सामना नहीं कर सकती।’
स्त्री शरीर होने के कारण ही कहा गया है कि महिलाओं को अपने पति के साथ हीं कही आना-जाना चाहिए। पति न तो भाई, पिता, पुत्र या कोई अन्य विश्वस्त पुरुष भी बाहर आ-जा सकते हैं।’
ग्रंथों में कही ये बातें अगर हम गलत तरीके लें कि इनसे तो महिलाओं की स्वतंत्रता कम होती है तो हमारी सोच गलत है। ऐसा तब होता है जब हम ग्रंथों की व्याख्या ठीक से नहीं कर पाते।