रक्षाबंधन हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। ये भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस बार ये पर्व 30 अगस्त, बुधवार को है। इस पर्व से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जो बहुत कम लोग जानते हैं…
धर्म ग्रंथों के अनुसार, सबसे पहले देवराज इंद्र ने युद्ध में विजय पाने के लिए अपनी पत्नी शचि से अभिमंत्रित रक्षासूत्र बंधवाया था। यही रक्षासूत्र आज राखी के नाम से जाना जाता है।
प्रचलित कथा के अनुसार जब राजा बलि वरदान मांगकर भगवान विष्णु को पाताल लोक ले गए। तब देवी लक्ष्मी ने बलि को रक्षासूत्र बांधकर उन्हें भाई बनाया और उपहार में विष्णुजी को मांग लिया।
रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। ये सावन मास का अंतिम दिन होता है। सावन हिंदू पंचांग का पांचवां महीना है। इसके अगले दिन से भाद्रपद मास शुरू हो जाता है।
एक तिथि के 2 भाग को करण कहते हैं। इनकी संख्या 11 है। इनमें से एक है भद्रा। भद्रा का संयोग पूर्णिमा तिथि पर जरूर बनता है। रक्षाबंधन पूर्णिमा पर आती है, इसलिए ऐसा होता है।
प्राचीन समय में पंडित अपने यजमानों को सावन पूर्णिमा पर रक्षासूत्र बांधते थे, जो विशेष तरीके से तैयार होता था। ऐसा कहते हैं कि उस रक्षासूत्र से परेशानियां अपने आप ही दूर हो जाती थी।
हर साल रक्षाबंधन पर श्रावणी उपाकर्म किया जाता है। इस परंपरा के अंतर्गत ब्राह्मण अपने जनेऊ उतारकर नई जनेऊ धारण करते हैं। हर ब्राह्मण को इसे करना अनिवार्य माना जाता है।
बहनें भाई को राखी बांधने से पहले ये मंत्र बोलें, इससे शुभ फल मिलेंगे।
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि ,रक्षे माचल माचल:।