22 जनवरी को अयोध्या मंदिर में राम लला की प्रतिमा स्थापित हो चुकी है। रोज यहां राम लला को खास भोग लगाते हैं, वस्त्र पहनाए जाते हैं। आगे जानें राम लला की पूजा से जुड़ी खास बातें…
आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण के अनुसार, राम लला की प्रतिमा 5 वर्ष के बालक स्वरूप में है, इनकी सेवा राजकुमार की तरह होती है। भोग, वस्त्र आदि का भी ध्यान रखा जाता है।
सुबह जब राम लला की उठाया जाता है तो सबसे पहले उन्हें मंजन कराया जाता है। उनके बिस्तर को साफ किया जाता है। इसके बाद स्नान आदि करवा कर तैयार किया जाता है।
श्रंगार-पूजा के बाद राम लला को अलग-अलग चीजों का भोग लगाते हैं, इनमें फल, रबड़ी, मालपुआ, मक्खन, मिश्री, मलाई आदि चीजें होती है। भगवान को मालपुआ बहुत पसंद है।
राम लला का श्रंगार रोज अलग-अलग वस्त्रों से होता है। हर दिन के लिए अलग-अलग रंग के वस्त्र तय हैं। विशेष अवसर पर राम लला को पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं क्योंकि वे पीतांबरधारी हैं।
राम लला को दिन में कईं बार संगीत सुनाया जाता है, वहीं शाम को वेद सुनाए जाते हैं। कहा जाता है कि वेद ही भगवान की श्वास यानी सांस हैं। इसे राम लला की संगीत सेवा कहा जाता है।
राम लला के शयन के वस्त्र अलग हैं, जो उन्हें सोने से पहले पहनाए जाते हैं। बिस्तर बिछाया जाता है। ठंड के मौसम में हीटर और गर्मी में एसी लगाने की व्यवस्था भी राम लला के लिए है।
गर्भ गृह बंद करने से पहले राम लला के पास पीने का पानी रखा जाता है ताकि रात में प्यास लगने पर वे इसे पी सकें। द्वारपालों से बोला जाता है कि राम लला की जरूरतों का ध्यान रखें।