अयोध्या में बने राम मंदिर को लेकर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि बिना शिखर निर्माण के राम लला की प्राण प्रतिष्ठा धर्म के अनुकूल नहीं है।
इधर काशी के विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने एक जारी कर बताया है कि इसके पहले भी कईं मंदिरों में शिखर बनने से पहले ही प्राण प्रतिष्ठा की गई है। आगे जानिए कौन-सी हैं वो मंदिर…
झारखंड में स्थित बाबा बैद्यनाथ का मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर के शिखर का काम आज भी अधूरा है, जबकि शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा काफी पहले की गई थी।
गुजरात के सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर में 11 मई 1951 को शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी और इसका शिखर निर्माण 1956 में शुरू हुआ। कलश स्थापना 3 मई, 1965 को की गई।
नासिक में भगवान दत्तात्रेय का मंदिर है। 550 साल पहले मंदिर की स्थापना की गई थी। भगवान दत्तात्रेय और गुरूगोरखनाथ की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के सालों बाद शिखर पूजन हुआ।
12 ज्योर्तिलिंगों में से एक रामेश्वर का मंदिर 1173 ईसवी में बना। यहां शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा के 277 साल बाद यानी 1450 में इसका शिखर बनाया गया। ये मंदिर 4 धामों में से एक है।
केरल का महापद्मनाभ स्वामी मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। मान्यता है कि इस मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा 5 हजार साल पहले हुई थी। जबकि शिखर स्थापना राजा मार्तंड ने साल 1733 में करवाई।
कर्नाटक के मुरुदेश्वर मंदिर में भी ऐसा ही हुआ था। यहां पहले भगवान शिव की प्राण प्रतिष्ठा पहले की गई थी, जबकि शिखर बाद में बना। यह मंदिर द्वापर युग का माना जाता है।