इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व 15 अक्टूबर, रविवार से शुरू होने वाला है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करने की परंपरा है। ये परंपरा क्यों बनाई गई, आगे जानिए इससे जुड़ी खास बातें…
ग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वन्तरि अमृत से भरा कलश लेकर समुद्र से बाहर निकले थे। इसलिए हिंदू धर्म में कलश को बहुत ही पवित्र माना गया है।
शुभ कार्यों के दौरान कलश में जल भरकर इसकी स्थापना साफ स्थान पर की जाती है। इसी कलश में देवताओं का आवाहान किया जाता है। मान्यता है कि इसी में देवताओं का वास होता है।
कलश को सुख-समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक भी माना जाता है। इसलिए अनेक चित्रों में देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर के हाथों में सोने के सिक्कों से भरा कलश दिखाया जाता है।
हिंदू धर्म में जब भी कोई शुभ कार्य जैसे गृह प्रवेश आदि किया जाता है या कोई पूजा की जाती है तो सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है ताकि सभी देवी-देवता उस शुभ कार्य में उपस्थित रहें।
नवरात्रि के 9 दिनों में हर काम बिना किसी बाधा के संपन्न हो और सभी देवताओं का आशीर्वाद इस दौरान बना रहे, इसलिए नवरात्रि के पहले ही दिन कलश स्थापना करने की परंपरा है।