तेलंगाना के पालमपेट गांव में स्थित रामप्पा मंदिर में यूनेस्को द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिसमें विदेश से भी लोग यहां आए हुए हैं। जानें ये मंदिर क्यों खास है…
रामप्पा को रामलिंगेश्वर मंदिर भी कहते हैं। इसका निर्माण 1213 में आंध्र प्रदेश के राजा गणपति देव ने करवाया था। इसे बनाने वाले शिल्पकार रामप्पा के नाम पर इसे रामप्पा मंदिर कहते हैं।
जुलाई 2021 में इस मंदिर को यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है। जिसके चलते ये मंदिर और भी खास हो गया है। दूर-दूर से लोग इस मंदिर को देखने यहां आते हैं।
इस मंदिर की भव्यता का अंदाजा इसी बात ये लगा सकते हैं कि 13वीं सदी में भारत आए इटैलियन खोजकर्ता मार्को पोलो ने इसे 'मंदिरों की आकाशगंगा में सबसे चमकीला तारा' कहा था।
800 सालों से ये मंदिर आज भी वैसा ही है। पुरातत्व विभाग ने जब इसकी मजबूती का कारण जानने के लिए रिसर्च की तो पता चला कि ये मंदिर पानी पर तैरने वाले पत्थरों से बना है।
लगभग सारे प्राचीन मंदिर तो अपने भारी-भरकम पत्थरों के वजन की वजह से टूट गए, लेकिन रामप्पा मंदिर का निर्माण बेहद हल्के पत्थरों से किया गया है, इसलिए यह मंदिर टूटता नहीं है।
ये मंदिर 6 फुट ऊंचे तारे जैसे मंच पर बनाया गया है, जिसमें दीवारों, स्तंभों और छतों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है, जो उस समय के मूर्तिकारों के अद्भुत कौशल को प्रमाणित करती है।