हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को देवी शीतला की विशेष पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 1 अप्रैल, सोमवार को है। इसी दिन शीतला सप्तमी की पूजा की जाएगी।
परंपरा अनुसार, देवी शीतला को ठंडे-बासी भोजन का ही भोग लगाते हैं। साथ ही इस दिन घरों में भी गर्म भोजन नहीं बनाया जाता। एक दिन पहले बनाया गया बासी भोजन ही किया जाता है।
शीतला सप्तमी ठंडा-बासी भोजन करने के पीछे धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी है, जिसके बारे में कम ही लोगों को पता है। इस परंपरा के पीछे का कारण आयुर्वेद में बताया गया है।
आयुर्वेद के अनुसार, चैत्र मास में शरीर में कफ की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे कई तरह की बीमारियां होने के खतरा रहता है। शीत ऋतु से संबंधित ये रोग शरीर पर गहरा असर डालते हैं।
ये परंपरा हमारे पूर्वजों ने इसलिये बनाई क्योंकि वो जानते थे कि इस मौसम में ठंडा भोजन ही हमारे शरीर के लिए ठीक रहता है। गर्म भोजन शरीर में कई तरह के रोग उत्पन्न कर सकता है।
हिंदू धर्म में चिक्स पॉक्स नामक बीमारी को शीतला माता का ही रूप माना जाता है। इस बीमारी में शरीर पर फोड़े-फूंसी हो जाते हैं। मान्यता है शीतला माता की पूजा से ये रोग नहीं होते।