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Sita Navmi 2024: राजा जनक ने अपनी पुत्री का नाम ‘सीता’ ही क्यों रखा?

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सीता नवमी 2024 कब है?

इस बार सीता नवमी का पर्व 16 मई, गुरुवार को है। इस दिन श्रीराम के साथ सीता की विशेष पूजा की जाती है। ग्रंथों में देवी सीता से जुड़ी अनेक रोचक बातें हैं। जानिए ऐसी ही रोचक बातें…

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राजा जनक ने सीता ही क्यों रखा नाम?

राजा जनक यज्ञ के लिए खेत जोत रहे थे, तभी उन्हें भूमि से एक कन्या मिली। चूंकि हल की नोक को सीत कहते हैं, इसलिए राजा जनक ने उस कन्या का नाम सीता रखा और पुत्री माना।

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कितने दिन लंका में रहीं देवी सीता?

इस बारे में विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। कुछ विद्वानों का मत है देवी सीता कुल 435 दिन लंका में रही, वहीं कुछ का मानना है कि 11 माह और 14 दिन देवी सीता ने लंका में बिताए।

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लंका में देवी सीता ने क्या खाया?

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, देवराज इंद्र ने देवी सीता को दिव्य औषधी युक्त खीर खिलाई थी, जिसके प्रभाव से लंका में न तो देवी सीता को कभी भूख लगी और न कभी प्यास।

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देवी सीता को किसने दिए थे दिव्य वस्त्र?

वनवास के दौरान अत्रि मुनि की पत्नी देवी अनुसूया ने देवी सीता को दिव्य वस्त्र और आभूषण दिए थे। उनकी विशेषता ये थी कि वो वस्त्र और आभूषण कभी गंदे नहीं होते थे।

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विवाह के समय कितनी थी देवी सीता की उम्र?

रामचरित मानस के अनुसार-
वर्ष अठ्ठारह की सिया, सत्ताईस के राम।।
कीन्हो मन अभिलाष तब, करनो है सुर काम।।
यानी विवाह के समय सीता की उम्र 18 साल और श्रीराम की आयु 27 वर्ष थी।

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