इस बार 2 अक्टूबर, बुधवार को सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्यग्रहण का संयोग बन रहा है। ऐसी स्थिति में लोगों के मन में ये संशय है कि पितरों की शांति के लिए श्राद्ध-पिंडदान कब करें?
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण से संबंधित अनेक नियम और परंपराएं हैं जैसे सूतक आदि। ग्रहण के दौरान श्राद्ध भी नहीं करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पं. द्विवेदी के अनुसार, 2 अक्टूबर, बुधवार को कंकणाकृति सूर्यग्रहण होगा, जिसे रिंग ऑफ फायर भी कहते हैं। लेकिन ये ग्रहण भारत में कहीं भी दिखाई नहीं देगा।
पं. द्विवेदी के अनुसार, चूंकि ये सूर्य ग्रहण भारत में कहीं भी दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां इसका सूतक मान्य नहीं होगा। यानी भारत में इस ग्रहण से संबंधित कोई भी नियम नहीं माना जाएगा।
भारत में ये सूर्यग्रहण दिखाई न देने से यहां सर्व पितृ अमावस्या से संबंधित श्राद्ध, पिंडदान आदि किए जा सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें सुबह 11.30 के पहले ये काम कर लें।
विद्वानों के अनुसार, श्राद्ध के लिए कुतप काल को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। कुतप काल का समय सुबह लगभग 11.30 तक रहता है, इसलिए इसके पहले श्राद्ध कर लेना चाहिए।