तिरुपति मंदिर में बालाजी मूर्ति के सामने शाश्वत जलते दीपक भगवान वेंकटेश्वर की हमेशा मौजूद रहने वाली दिव्य शक्ति को दिखाते हैं। भक्त इन्हें ईश्वरीय प्रकाश मानते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि बालाजी मंदिर में ये दीपक हजारों सालों से लगातार जल रहे हैं और इन्हें कब जलाया गया था, इसका किसी को पता नहीं है।
तिरुपति भगवान वेंकटेश्वर के सामने इन दीपकों का इतने लंबे समय से जलना मंदिर को और भी पवित्र और रहस्यमयी बना देता है। लोग मानते हैं कि यहां भगवान की शक्ति हमेशा रहती है।
मंदिर में हर दिन की पूजा और अनुष्ठान के दौरान ये जलते रहते हैं। ये दीपक सिर्फ रोशनी नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतीक हैं, जो भक्तों को सही रास्ता दिखाते हैं।
ये दीपक तिरुपति मंदिर की परंपराओं और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं, जो कई पीढ़ियों से चल रही हैं। दीपकों का लगातार जलते रहना मंदिर और भगवान के बीच अटूट संबंध का प्रतीक है।
बालाजी की मुख्य मूर्ति को लोग जीवित मानते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि जब मूर्ति की पीठ पर कान लगाते हैं, तो अंदर से गरजते हुए समुद्र की आवाज सुनाई देती है।
ऐसी भी मान्यता है कि बालाजी की मुख्य मूर्ति के अभिषेक के बाद मूर्ति से पसीना निकलने लगता है, जिसे रेशमी कपड़े से पोंछा जाता है।