तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में एक है। यहां हरदिन भक्तों द्वारा 3-5 करोड़ रुपये धनराशि, सोने के आभूषण चढ़ाए जाते हैं। खास दिनों में यह और ज्यादा हो जाता है।
भक्त यहां बाल दान (तिरुप्पती) करते हैं, जिसे 'मोक्कू' कहा जाता है। यह भगवान वेंकटेश्वर के प्रति आस्था और कृतज्ञता का प्रतीक है। जो अक्सर मन्नत पूरा करने पर किया जाता है।
इस मंदिर में हर दिन करीब 50,000 से 100,000 श्रद्धालु आते हैं और त्योहारों के दौरान यह संख्या 5 लाख तक पहुंच जाती है।
तिरुपति मंदिर का इतिहास लगभग 2000 साल पुराना है और इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। इसे दक्षिण भारत के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है।
यहां के प्रसाद के रूप में दिए जाने वाला श्री वारी लड्डू खास होता है। तिरुपति लड्डू को विशेष दर्जा प्राप्त है और इसे जीआई टैग भी दिया गया है।
यहां कई विशेष अनुष्ठान होते हैं, जैसे 'कल्याणोत्सव', 'विष्णु सहस्रनाम' और 'अर्चना', जिनमें भगवान वेंकटेश्वर की विशेष पूजा की जाती है।
माना जाता है कि तिरुपति मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां कुंडलिनी शक्ति सक्रिय होती है। यहां आकर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और सुकून मिलता है।
यहां पूजा और धार्मिक अनुष्ठान दिन-रात 24 घंटे चलते रहते हैं। हर रोज मंदिर के कपाट खुलने से लेकर बंद होने तक विविध अनुष्ठान होते हैं।
मंदिर के मुख्य गर्भगृह के ऊपर स्थित गुम्बद सोने से बना है। यह विशेष रूप से मंदिर की आकर्षक वास्तुकला और धार्मिक महत्ता का प्रतीक है।
नवरात्रि के समय यहां विशेष उत्सव आयोजित होते हैं, जिसमें भगवान वेंकटेश्वर के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु मंदिर की यात्रा करते हैं।