महात्मा विदुर महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे। उनकी बातों को विदुर नीति ग्रंथ में संग्रहित किया गया है। विदुर नीति से जानिए पत्नी की तारीफ कब और क्यों करनी चाहिए…
जीर्णमन्नं प्रशंसन्ति भार्या च गतयौवनाम्।
शूरं विजितसंग्रामं गतपारं तपस्विनम् ।।
अर्थ- पचने के बाद अन्न की, निष्कलंक जवानी निकल जाने के बाद पत्नी की, युद्ध जीतने पर योद्धा की और ज्ञान प्राप्त करने के बाद तपस्वी की प्रशंसा करनी चाहिए।
महात्मा विदुर के अनुसार, जवानी के समय में स्त्री में कईं तरह के दोष आ जाते हैं। जिस स्त्री यानी पत्नी की जवानी बिना किसी दोष के निकल जाए, उसकी प्रशंसा जरूर करनी चाहिए।
विदुर नीति के अनुसार, जो अन्न यानी भोजन आसानी से पच जाए और जिसे खाने के बाद किसी तरह का विकार यानी बीमारी न हो, उस अन्न की प्रशंसा जरूर करनी चाहिए।
महात्मा विदुर के अनुसार, शूरवीर योद्धाओं के बल पर ही युद्ध जीता जाता है। इसलिए युद्ध जीतने के बाद योद्धा की प्रशंसा अवश्य करनी चाहिए। इससे उसका मनोबल बढ़ता है।
विदुर नीति के अनुसार, वैसे तो संसार में लाखों अज्ञानी तपस्वी हैं, लेकिन जिस तपस्वी को अपनी साधना के द्वारा ज्ञान की प्राप्ति हो जाए निश्चित रूप से सम्मान करने योग्य होता है।