31 अक्टूबर, गुरुवार को दिपावली पर्व मनाया जाएगा। देश में कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां साइलेंट दिवाली मनाने का चलन है। साइलेंट दिवाली क्या होता है और ये क्यों मनाते हैं, आगे जानिए…
साइलेंट दिवाली एक नया कॉन्सेप्ट है, जिसमें बिना शोर-गुल और पटाकों की आवाज के एक दम शांति से ये पर्व मनाया जाता है। इसलिए इस कान्सेप्ट को साइलेंट दिवाली नाम दिया गया है।
साइलेंट दिवाली तमिलनाडु के 7 गावों में मनाई जाती है। इन गांवों के नाम है सेलप्पमपलयम, वदामुगम, वेल्लोड, सेम्मांडपपालमय, करुक्कनकट्टू वलासु, पुंगमपाड़ी और 2 अन्य।
इन गांवों में दीपावली पर न तो कोई पटाखा फोड़ता है और न अन्य तरह की कोई तेज आवाज करता है। घरों पर लोग लाइट और दीपक लगाकर ही एक-दूसरे के साथ दीपावली मनाते हैं।
साइलेंट दिवाली का कारण इन गांवों के पास बना पक्षी अभ्यारण्य है। इस अभ्यारण्य में कईं दुर्लभ प्रजाति के पक्षी रहते हैं। उन्हें किसी तरह का परेशानी न हो, इसलिए ये परंपरा शुरू की गई।
लगभग 23 साल पहले सभी गांव वालों ने मिलकर साइलेंट दिवाली मनाने का प्रस्ताव रखा था। सभी की सहमति से ये फैसला लिया गया। स्थानीय लोग आज भी इस पर कायम है।