इस बार दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। तंत्र शास्त्र में दिवाली की रात का विशेष महत्व बताया गया है। इस रात में की गई तंत्र साधना जल्दी सफल होती है।
तंत्र शास्त्र में दिवाली की रात को कालरात्रि कहा गया है। पश्चिम बंगाल में एक ऐसा प्रसिद्ध श्मशान है जहां गुप्त सिद्धियां पाने के लिए दिवाली का रात तांत्रिकों की भीड़ उमड़ती है।
ये श्मशान है वीरभूम में स्थित तारापीठ श्मशान। तारापीठ 52 शक्तिपीठों में से एक है। ये स्थान तंत्र साधना के लिए बहुत प्रसिद्ध है। दूर-दूर से तांत्रिक यहां तंत्र साधना के लिए आते हैं।
दिवाली की रात तारापीठ श्मशान में खास पूजा होती है, जिसमें शेर के नाखून, गिद्ध की हड्डी और हाथी दांत आदि का उपयोग किया जाता है। कहते हैं दिवाली की रात स्वयं मां तारा यहां आती हैं।
तंत्र शास्त्र में तारापीठ को जादूनगरी कहा गया है। मान्यता है माता तारा जिस पर प्रसन्न होती हैं, उसे दिवाली की रात यहां दर्शन देती हैं। इसलिए यहां दिवाली की रात का विशेष महत्व है।
वीरभूम में स्थित तारापीठ श्मशान को बहुत ही पवित्र माना गया है। यही कारण है कि यहां की राख को लोग अपने घर ले जाते हैं और पूजा करते हैं। इससे इन्हें शुभ फल मिलते हैं।