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तंत्र क्रिया के लिए प्रसिद्ध है ये श्मशान, दिवाली की रात होती खास पूजा

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कब है दिवाली 2024?

इस बार दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। तंत्र शास्त्र में दिवाली की रात का विशेष महत्व बताया गया है। इस रात में की गई तंत्र साधना जल्दी सफल होती है।

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दिवाली की रात को कहते हैं कालरात्रि?

तंत्र शास्त्र में दिवाली की रात को कालरात्रि कहा गया है। पश्चिम बंगाल में एक ऐसा प्रसिद्ध श्मशान है जहां गुप्त सिद्धियां पाने के लिए दिवाली का रात तांत्रिकों की भीड़ उमड़ती है।

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ये है वो श्मशान

ये श्मशान है वीरभूम में स्थित तारापीठ श्मशान। तारापीठ 52 शक्तिपीठों में से एक है। ये स्थान तंत्र साधना के लिए बहुत प्रसिद्ध है। दूर-दूर से तांत्रिक यहां तंत्र साधना के लिए आते हैं।

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दिवाली की रात होती है खास पूजा

दिवाली की रात तारापीठ श्मशान में खास पूजा होती है, जिसमें शेर के नाखून, गिद्ध की हड्डी और हाथी दांत आदि का उपयोग किया जाता है। कहते हैं दिवाली की रात स्वयं मां तारा यहां आती हैं।

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इसे कहते हैं जादूनगरी

तंत्र शास्त्र में तारापीठ को जादूनगरी कहा गया है। मान्यता है माता तारा जिस पर प्रसन्न होती हैं, उसे दिवाली की रात यहां दर्शन देती हैं। इसलिए यहां दिवाली की रात का विशेष महत्व है।

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लोग ले जाते हैं श्मशान की राख

वीरभूम में स्थित तारापीठ श्मशान को बहुत ही पवित्र माना गया है। यही कारण है कि यहां की राख को लोग अपने घर ले जाते हैं और पूजा करते हैं। इससे इन्हें शुभ फल मिलते हैं।

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