ईमानदारी के टेस्ट में केजरीवाल फेल, 'आप' की हार के 10 सबसे बड़े कारण
Hindi

ईमानदारी के टेस्ट में केजरीवाल फेल, 'आप' की हार के 10 सबसे बड़े कारण

1- सत्ता विरोधी लहर
Hindi

1- सत्ता विरोधी लहर

2015 से दिल्ली पर शासन करने के बाद AAP को एक दशक से चली आ रही सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा। दिल्लीवासियों के लिए नई पहलों में कमी के चलते जनता में असंतोष बढ़ा।

Image credits: Getty
2- मोदी का 'आप-दा' कैम्पेन
Hindi

2- मोदी का 'आप-दा' कैम्पेन

चुनाव अभियान के दौरान पीएम मोदी ने पिछले एक दशक में AAP की कथित विफलताओं को उजागर करने के लिए ‘आप-दा’ कैम्पेन चलाया। बदलाव की तलाश कर रहे वोटर्स के बीच ये सटीक निशाने पर लगा।

Image credits: Our own
3- दिल्ली शराब नीति घोटाला
Hindi

3- दिल्ली शराब नीति घोटाला

दिल्ली शराब नीति घोटाले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया समेत पार्टी के कई नेता जेल गए। इससे पार्टी की ईमानदारी वाली इमेज को बड़ा नुकसान पहुंचा।

Image credits: Our own
Hindi

4- केजरीवाल का शीशमहल

भाजपा ने केजरीवाल पर सरकारी आवास, जिसे शीशमहल नाम दिया पर बेफिजूल खर्च का मुद्दा उठाया। आलीशान टॉयलेट सहित बंगले पर अत्यधिक खर्च के आरोपों ने लोगों की नाराज़गी को बढ़ा दिया।

Image credits: Our own
Hindi

5- डर फैलाने का दांव पड़ा उल्टा

चुनाव अभियान के दौरान 'आप' ने वोटर्स को इस बात से डराया कि भाजपा सत्ता में आई तो उसकी कल्याणकारी योजनाओं को खत्म कर देगी। आप का यमुना को प्रदूषित करने वाला आरोप भी उल्टा साबित हुआ।

Image credits: Our own
Hindi

6- पुराने वादे रहे अधूरे, नए पर जनता ने बनाई दूरी

2023 में AAP ने महिलाओं के लिए 1000 रुपये मासिक भत्ते का वादा किया था, लेकिन पूरा नहीं किया। 2025 के चुनाव से पहले इसे बढ़ाकर 2100 रुपये कर दिया, लेकिन वोटर्स को इस पर संदेह था।

Image credits: Our own
Hindi

7- विकास का अभाव

AAP के पहले कार्यकाल में मोहल्ला क्लीनिक और सब्सिडी वाली कई स्कीम्स की तारीफ हुई, लेकिन दूसरे कार्यकाल में डेवलपमेंट का कोई खाका नहीं दिखा। यमुना की सफाई जैसे कई वादे अधूरे रहे।

Image credits: Getty
Hindi

8- इंडिया गठबंधन में विरोधाभास

इंडिया गठबंधन में आप-कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव तो मिलकर लड़े, लेकिन हरियाणा में प्रतिद्वंद्वी बने रहे। इससे गठबंधन की एकता पर सवाल उठने लगे और वोटर कहीं न कहीं छिटक गया।

Image credits: Our own
Hindi

9- आप के 'वादों' का आकर्षण खत्म

आप ने मुफ्त बिजली, पानी की सब्सिडी, महिलाओं के लिए बस की सवारी जैसे वादे किए। वहीं भाजपा ने इन्हें जारी रखने को कहा। बल्कि कई राज्यों में करके दिखाया। इससे आप के वादे कमजोर पड़ गए।

Image credits: Getty
Hindi

10- नए विचारों की कमी के चलते 'आप' से निराश हुआ वोटर

समय के साथ AAP का शासन ठहराव जैसा लगने लगा। वोटर, जो एक बदलाव के लिए इससे जुड़े थे वो इनोवेशन और नए विचारों की कमी के कारण निराश हो गए।

Image credits: Getty

इतिहास की पढ़ाई, शिक्षा में रिसर्च, अब पॉलिटिक्स में कमाल कर रही आतिशी

कौन हैं विजेंद्र गुप्ता, रोहिणी में जीत की हैट्रिक लगाने वाले BJP नेता

कौन हैं प्रवेश वर्मा, जिन्होंने केजरीवाल को चुनावी मैदान में धूल चटाई

कौन हैं तरविंदर सिंह मारवाह?12वीं पास नेता ने सिसोदिया को दी भयानक मात