21 साल के भारतीय पहलवान अमन सहरावत ओलिंपिक मेडलिस्ट बन गए हैं। उन्होंने पेरिस ओलिंपिक में रेसलिंग का पहला मेडल ब्रॉन्ज पदक दिलाया है।
अमन ने शुक्रवार को फ्री-स्टाइल 57kg कैटेगरी में प्यूर्टो रिको के डरियन टोई क्रूज को 13-5 से हराकर यह खिताब अपने नाम किया है।
21 साल की उम्र में अमन रेसलिंग पेरिस ओलिंपिक में यह पदक जीतने वाले इकलौते भारतीय पुरुष पहलवान बन गए हैं। अब उनकी गिनती भारत के स्टार खिलाड़ी होने लगी है।
अमन की जिंदगी संघर्षों से भरी हुई है। उन्होंने 11 साल की उम्र में अपने माता-पिता दोनों को खो दिया था। मां की मौत हार्ट अटैक से हुआ था तो वहीं पिता भी बीमारी से पीड़ित थे।
झज्जर जिले के छोटे से गांव भिड़होड में रहने वाले अमन सहरावत को उनकी मौसी ने अपने बच्चे की तरह पाला है। अमन का मन पढाई से ज्यादा खेलकूद में लगता था।
अमन बचपन में चचेरे भाई के साथ अखाड़े में दांव-पेंच लड़ाते थे। पहले जिला लेवल और स्टेट लेवल की प्रतियोगिता में भाग लेकर कई मेडल जीते तो उन्होंने कुश्ती को अपना करियर बना लिया।
अमन ने एशियन गेम्स में ब्रांज मेडल जीता है तो वहीं सीनियर एशियन चैंपियनशिव में गोल्ड और यू-23 एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड भी स्वर्ण पदक विजेता हैं।