डिजिटल अरेस्ट स्कैम लोगों को कानूनी कार्रवाई से डराकर एमाउंट ट्रांसफर करवाने का नया साइबर अपराध है। जानें इसे कैसे पहचानें और खुद को सुरक्षित रखने के 8 तरीके।
डिजिटल अरेस्टिंग स्कैम इन दिनों मेट्रो शहरों में बढ़ गया है। एक नए प्रकार का साइबर फ्रॉड है, जिसमें लोगों को कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर पैसे वसूले जाते हैं।
इस प्रकार के स्कैम में पीड़ित को एक फोन कॉल, ईमेल या मैसेज मिलता है, जिसमें दावा किया जाता है कि वह अवैध गतिविधि, जैसे पहचान की चोरी या मनी लॉन्ड्रिंग के लिए जांच के घेरे में है।
धोखेबाज खुद को अधिकारी बताकर पीड़ित पर दबाव बनाते हैं कि यदि वह तुरंत प्रतिक्रिया नहीं देता तो उसे अरेस्ट कर लिया जाएगा या कानूनी सजा भुगतनी होगी। इससे पीड़ित व्यक्ति डर जाता है।
ऐसे किसी भी कॉल, ईमेल या संदेश से सावधान रहें जो खुद को अधिकारी बताते हुए आपको मुसीबत में होने का दावा करता है।
ध्यान रखें कि असली कानून प्रवर्तन अधिकारी कभी भी आपके बैंकिंग जानकारी या भुगतान की मांग नहीं करेंगे।
साइबर अपराधी अक्सर तात्कालिकता का माहौल बनाने के लिए घबराहट भरी भाषा का प्रयोग करते हैं ताकि आप तुरंत प्रतिक्रिया दें।
किसी भी जानकारी की पुष्टि किए बिना जल्दी निर्णय लेने से बचें और सत्यापित करें। अगर आपको किसी कॉल पर संदेह हो, तो सीधे उस एजेंसी से संपर्क करके उनके पहचान की पुष्टि करें।
हमेशा शांत रहें और घबराएं नहीं। पर्सनल डिटेल शेयर न करें और अननोन नंबरों पर सेंसटिव डिटेल न दें। सरकारी एजेंसियां व्हाट्सएप या स्काइप के माध्यमों पर ऑफिसियल संचार नहीं करती हैं।
यदि आपको लगता है कि आप धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं, तो तुरंत अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर अपराध विभाग में इसकी सूचना दें।