एक ओर जहां पूरे देश में रोशनी के त्यौहार दिवाली की धूम है, तो वहीं देश में एक ऐसा अनूठा गांव भी हैं, जहां रात के अंधेरे का जश्न मनाया जाता है। जानें इस गांव की महत्वपूर्ण खासियतें।
भारत का पहला डार्क स्काई रिजर्व हनले, उन लोगों के लिए स्वर्ग है जो सितारों के दुर्लभ नजारे देखना चाहते हैं। ये ऐसा अनूठा क्षेत्र है, जहां रात के अंधकार को संजोया और सराहा जाता है।
हनले डार्क स्काई रिजर्व का उद्देश्य एस्ट्रो टूरिज्म को बढ़ावा देना और प्रकाश प्रदूषण को रोकना है। हिमालय की ऊंचाइयों पर बसे इस स्थान को भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ने डेवलप किया है।
केंद्रीय विज्ञान राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार ये लद्दाख को एस्ट्रो साइंस प्रेमियों काे आकर्षित करता है। स्थानीय लोग गाइड के रूप में पर्यटकों की मदद करते हैं।
IIA की प्रोफेसर अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम के अनुसार हनले डार्क स्काई रिजर्व खगोल विज्ञान शोध के साथ-साथ स्थायी पर्यटन और साइंस बेस्ड विकास को एक साथ बढ़ावा देती है।
स्थानीय ग्रामीणों को आधुनिक दूरबीनें दी गई हैं ताकि वे खगोल-राजदूत के रूप में कार्य कर सकें। यह पहल न केवल रोजगार का स्रोत बन रही है, बल्कि स्थायी पर्यटन को भी गति दे रही है।
पर्यटन विभाग ने बाहरी रोशनी पर प्रतिबंध लगाते हुए ऐसे नियम बनाए हैं जो इस क्षेत्र की अंधेरी रातों को संरक्षित करते हैं। हनले में एक "स्टार पार्टी" का आयोजन भी किया गया।
इस स्टार पार्टी में शौकिया खगोलविदों ने भाग लिया और सितारों के नज़ारे का आनंद लिया। यह आयोजन HDSR के प्रति लोगों के आकर्षण को दर्शाता है।
IIA ने खगोल-पर्यटन के लिए 18 दूरबीनें स्थानीय निवासियों को प्रदान की हैं और उन्हें प्रशिक्षित किया गया है ताकि पर्यटक इस अद्वितीय अनुभव का आनंद ले सकें।
यहां कम प्रकाश व्यवस्था का ध्यान रखा गया है ताकि स्थानीय वन्यजीव और वनस्पतियाँ भी सुरक्षित रहें और खगोल अनुसंधान में कोई बाधा न हो।
हनले मठ के प्रमुख लामा और एस्ट्रो एंबेस्डर नवांग चोज़ान्ह के अनुसार हनले के अंधेरे आकाश को संरक्षित करना जरूरी है ताकि सितारों के नज़ारों का आनंद ले सके। पर्यावरण भी सुरक्षित रहे।