जिंदगी के शुरूआती दिनों में IAS बनने का सपना देखने वाली जम्मू कश्मीर की 1 लड़की आज MLA बन गई है। उसकी जीत गौरवान्वित करने वाली अवश्य है, लेकिन उसके पीछे एक दर्दनाक स्टोरी भी है।
कोई एक घटना कैसे आपके जीवन की कैसे दिशा और दशा बदल देती है, वो देखना हो तो जम्मू संभाग से विजई BJP की एकमात्र महिला कैंडिडेट शगुन परिहार की जिंदगी के पहलुओं को देखना चाहिए।
राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखने वाली 29 साल की शगुन आज भले ही विधायक बन गई हैं, लेकिन उनका सपना कभी भी राजनीति में आने को नहीं था। वह सिविल सर्विसेज में जाना चाहती थी।
किश्तवाड़ विधानसभा सीट से शगुन परिहार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के सज्जाद अहमद किचलू को 521 वोटों के अंतर से हराया। यह जीत उनके लिए व्यक्तिगत रूप से बहुत खास है।
क्योंकि 1 नवंबर 2018 को आतंकवादियों ने उनके पिता अजीत परिहार और चाचा अनिल परिहार की हत्या कर दी थी। जिसके बाद उन्होंने राजनीति की ओर रुख किया। जिसका मकसद शांति और अमन कायम करना है।
शगुन परिहार वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक्स में डॉक्टरेट कर रही हैं। उन्होंने एमटेक की डिग्री भी हासिल की है और जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कर रही हैं।
उनके पिता और चाचा दोनों ही भाजपा के वरिष्ठ नेता थे और उनकी हत्या ने राज्य में बड़े पैमाने पर आक्रोश पैदा किया था। शगुन के चाचा अनिल की मुस्लिम समुदाय में भी अच्छी पकड़ थी।
उसी का असर इस चुनाव परिणाम में देखने को मिला। चुनाव में शगुन को कुल 29,053 वोट मिले, जबकि सज्जाद अहमद किचलू को 28,532 वोट मिले। PDP के फिरदौस अहमद ताक को मात्र 997 वोट मिले।
इस मुस्लिम बाहुल्य सीट से BJP की जीत पार्टी से कहीं ज्यादा शगुन परिहार के पिता और चाचा की कुर्बानी की वजह से हुई है। आज किश्तवाड़ की जनता ने शगुन को सर माथे पर बैठाया है।
जीत के बाद शगुन ने कहा कि पिता और चाचा को खोने के बाद यह जनादेश सिर्फ मेरे परिवार के लिए नहीं, बल्कि क्षेत्र के सभी बलिदानियों के परिवारों के लिए है।
उन्होंने देश और पार्टी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों के परिवारों को सम्मानित करने के लिए भाजपा का आभार व्यक्त किया।